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हम कौन हैं

कॉलेज के बारे में

गुजराती कला विधि महाविद्यालय मध्य प्रदेश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महाविद्यालयों में सम्मिलित है। विगत पांच दशकों से अधिक की अवधि में यहां पर ऐसे अनगिनत विद्यार्थियों ने अध्ययन किया है, जिन्होंने राजनीति, पत्रकारिता, व्यवसाय, उद्योग, शिक्षा, सेल मेव, प्रशासनिक सेवा इत्यादि क्षेत्रों में ख्याति  अर्जित की है ।

महाविद्यालय का इतिहास –
गुजराती कला विधि महाविद्यालय का संचालन श्री गुजराती समाज इंदौर द्वारा किया जाता है । श्री गुजराती समाज राष्ट्र की सबसे बड़ी शैक्षणिक संस्था में से एक है, जिसकी समृद्ध शैक्षणिक परंपरा का इतिहास 100 वर्ष पुराना है । बीसवीं सदी के प्रारंभिक दशकों में इंदौर शहर में निवास रत, गुजराती परिवारों ने एक ऐसा विद्यालय स्थापित करने का निश्चय किया, जिसमें गुजराती भाषा में अध्यापन किया जा सके इसका उद्देश्य इन परिवारों के बालक बालिकाओं में गुजराती भाषा संस्कार एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना था ।

इसी प्रयास के फलस्वरूप सन 1922 में जेल रोड पर स्थित एक छोटे से कमरे में 8-10 बच्चों के साथ इस विद्यालय की शुरुआत हुई ।

इंदौर व इसके आसपास रहने वाले सभी वर्गों को हिंदी व अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा उपलब्ध करवाने के व्यापक दृष्टिकोण के साथ गुजराती समाज ने शैक्षणिक विस्तार की योजना बनाई फल स्वरूप प्राथमिक माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की गई ।

सन 1951 में श्री गुजराती समाज के पितामह कहे जाने वाले सेठ श्री मणिलाल बलदेव दास परिख  ने इंटर कॉलेज की स्थापना की जिसे सन 1958  में डिग्री कॉलेज के रूप में मान्यता मिली ।

सन 1958 – 59 में कला संकाय व 1963 – 64 में विधि संकाय प्रारंभ किए गए। सन 1970  में अर्थशास्त्र व 1974 में समाजशास्त्र एवं राजनीति विज्ञान की स्नातकोत्तर कक्षाएं शुरू की गई ।

सन 1977 तक इस महाविद्यालय में कला, विधि, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय से जुड़े अनेक विषयों का अध्यापन किया जाने लगा । सन 1980 में विद्यार्थियों की संख्या 5000 से अधिक होने पर इस महाविद्यालय का विभाजन प म ब  गुजराती कला एवं विधि महाविद्यालय,प म ब  गुजराती विज्ञान महाविद्यालय एवं  प म ब गुजराती वाणिज्य महाविद्यालय में किया गया ।

गुजराती कला एवं विधि महाविद्यालय को सन 1980 में उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन व विश्वविद्यालय आयोग से अधिनियम 156 के खंड 2( b) व 12 (b) अंतर्गत मान्यता प्राप्त हुई ।

महाविद्यालय की यह नई शुरुआत प्राचार्य अनसूया देसाई के मार्गदर्शन में हुई उन्होंने महाविद्यालय परिसर में शैक्षणिक वातावरण निर्मित करने के अतिरिक्त शिक्षकों, विद्यार्थियों, प्रबंध, विश्व विद्यालय एवं उच्च शिक्षा विभाग के मध्य बेहतर सामंजस्य स्थापित किया। महाविद्यालय ने समाजशास्त्र व अर्थशास्त्र विषयों में देवी अहिल्या  विश्वविद्यालय से मानयता प्राप्त शोध केंद्र की स्थापना की । तत्पश्चात स्नातक स्तर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुशंसा पर रोजगारन्मुखी फंक्शनल इंग्लिश पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई। सन 2016 में उच्च शिक्षा अनुदान आयोग द्वारा गठित नेक समिति ने महाविद्यालय को B ग्रेड प्रधान की। अपनी स्थापना से लेकर अब तक महाविद्यालय ने लगभग 75000 से अधिक छात्र छात्राओं को शिक्षा प्रदान की है । यहां पर शिक्षित विद्यार्थी संपूर्ण भारत व विदेश में कार्यरत हैं, इनमें से अनेक विद्यार्थियों ने मंत्री, न्यायाधीश, प्रशासनिक अधिकारी, मैनेजर आदि अनेक उच्च पदों को सुशोभित किया है। वर्तमान में महाविद्यालय के कला संकाय के स्नातक पाठ्यक्रम में लगभग अठारह सौ छात्र-छात्राएं अध्ययन रत है । यह सब श्री गुजराती समाज प्रबंध, महाविद्यालय के योग्य शिक्षकों व कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है ।

हम सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करते हैं

मिशन और दृष्टिकोण

मिशन और दृष्टिकोण. PMB गुजराती कला एवं विधि महाविद्यालय ने सा विद्या या विमुक्तए के दर्शन को अपना आदर्श माना है, क्योंकि संस्था का संकल्प शिक्षा द्वारा युवाओं को अज्ञानता के अंधकार से मुक्त करके उनके जीवन को प्रकाशमान बनाना है । महाविद्यालय में निरंतर इसी आदर्श को सार्थक सिद्ध करने का प्रयास किया है । समाज के प्रत्येक वर्ग के छात्र-छात्राओं को न्यूनतम शिक्षण शुल्क लेकर श्रेष्ठतम शिक्षा प्रदान करना है, महाविद्यालय का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है । महाविद्यालय का मिशन सतत मूल्यांकन के आधार पर शैक्षणिक  सुविधाओं एवं प्रणालियों को परिष्कृत करना है, ताकि विद्यार्थियों में मानव मूल्य विकसित हो सके। वह जिम्मेदार नागरिक बन सकें वह अपने आपको भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर सके ।